Ahoi Ashtami Vrat story (Katha)
Ahoi Ashtami Vrat story (Katha)
व्रत कथा :
एक नगर में एक साहूकार रहता था जिसके 7 पुत्र थे।
एक दिन उसकी स्त्री जब कार्तिक मास की अष्टमी को मिट्टी लेने के लिए घर से गई तो उसने अनजाने में ही कुदाल से सेही के बच्चों को मार डाला।
जब सेही ने अपने बच्चों को मरे देखा तो उसने दुख से विलाप करते हुए श्राप दिया कि जिसने उसके बच्चों को मारा है उसे भी यह कष्ट बराबर रूप से सहना पड़े।
सेही के श्राप के प्रभाव से सेठ के सातों बच्चे भी एक साल के भीतर ही मृत्यु को प्राप्त हो गए।
दुखी सेठ-सेठानी घर-बार छोड़कर तीर्थ यात्रा को चले गए। अशांत पति-पत्नी एक दिन मूर्च्छित होकर धरती पर गिर पड़े तो करुणा निधान भगवान ने उनके कष्टों के निवारण के लिए आकाशवाणी की कि सेही के बच्चों को मारने के कारण ही उन्हें यह कष्ट सहन करने पड़े हैं परंतु यदि वह घर जाकर सच्चे मन से गाय माता की सेवा करके विधि-विधान से अहोई माता का व्रत करें, जीवों के प्रति दया भाव रखें तो उन्हें संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है।
सेठ-सेठानी ने मन से क्रोध त्याग कर सभी असहाय जीवों की सेवा करते हुए अहोई माता के प्रताप से पुन: 7 पुत्र प्राप्त किए तथा नाना प्रकार के सुखों का भोग करते हुए प्रभु के परमधाम को प्राप्त किया।
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